Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

कभी कांग्रेस तो कभी पीएम मोदी के लिए लकी रही काशी, इस बार किसकी होगी जीत?

varanasi lok sabha election 2024- India TV Hindi


वाराणसी लोकसभा सीट

वाराणसी संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है। इसे ‘बनारस’ और ‘काशी’ के नाम से भी जानते हैं। पवित्र नगरी काशी का बाबा विश्वनाथ मंदिर और गंगा नदी से अटूट रिश्ता है। यह शहर आदिकाल से भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। वाराणसी के ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्व के साथ ही राजनीतिक पृष्ठभूमि भी काफी रोचक है। साल 1957 के आम चुनाव में पहली बार वाराणसी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सीट से दो बार बंपर जीत की वजह से इस सीट का महत्व और खास हो गया है।

साल 1951-52 में जब पहले आम चुनाव हुए थे तब वाराणसी जिले में बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य नाम से तीन लोकसभा सीटें थीं। इसके बाद साल 1957 में वाराणसी सीट के लिए हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतरे रघुनाथ सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार शिवमंगल राम को 71,926 वोट से शिकस्त दी थी और यह सीट कांग्रेस के नाम हो गई थी। फिर जब 1962  में लोकसभा चुनाव हुए तो यह सीट फिर से कांग्रेस के रघुनाथ सिंह के खाते में रही। उन्होंने इस बार जनसंघ उम्मीदवार रघुवीर को 45,907 वोटों से हराया। 

कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा की विनिंग सीट रही वाराणसी

साल 1967 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वाराणसी सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एसएन सिंह ने कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को 18,167 मतों से हराया था।  फिर से 1971 के चुनाव में कांग्रेस के राजा राम शास्त्री ने भारतीय जनसंघ के कमला प्रसाद सिंह को 52,941 वोट से हराया और यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में आ गई। देश में 1971 के बाद जब इमर्जेंसी लगी और फिर साल 1977 में चुनाव हुए तो कांग्रेस को इस सीट पर बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के राजा राम को भारतीय लोक दल के चंद्रशेखर ने 1,71,854 वोट से हराया।

1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से वाराणसी सीट पर जीत दर्ज कर वापसी की और  उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने इस सीट पर पार्टी  को जीत दिलाई। उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के प्रत्याशी राज नारायण को  24,735 मतों से हराया। 1984 में भी यह सीट कांग्रेस के पास बरकरार रही और श्याम लाल यादव ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी ऊदल को  94,430 वोटों से हराया।

1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकलकर  जनता दल के अनिल शास्त्री के हाथों में चली गई। 1991 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वाराणसी सीट पर भाजपा को जीत मिली, जब शीश चंद्र दीक्षित ने माकपा के राजकिशोर को हराया और तब से यह सीट भाजपा के खाते में जाती रही । 1991 के बाद 1996 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने इस सीट पर जीत दर्ज की। जायसवाल ने माकपा के राजकिशोर को 1,00,692 वोटों से हराया।

वीवीआईपी बन गई थी वाराणसी सीट

2004 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट पर 15 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की और राजेश कुमार मिश्रा ने  भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल को हराकर जीत दर्ज की। साल  2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट तब देश की वीवीआईपी सीटों में शामिल हो गई, जब भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी के मुकाबले बसपा के बाहुबली मुख्तार अंसारी चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव में मुरली मनोहर जोशी ने मुख्तार अंसारी को हरा दिया था।

नरेंद्र मोदी के लिए लकी रही काशी

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को चुनाव मैदान में उतारा और साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री पद का चेहरा भी घोषित कर दिया। नरेंद्र मोदी ने पहले से अपनी परंपरागत सीट वडोदरा से चुनाव लड़ रहे थे और अब उन्होंने वाराणसी से भी चुनाव लड़ा। इस सीट पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल तो कांग्रेस ने अजय राय को टिकट दिया था। इस घमासान में वाराणसी लोकसभा सीट देश की सबसे चर्चित सीट बन गई।  इस बार नरेंद्र मोदी ने इस सीट पर अपनी बंपर सीट दर्ज की तो वहीं  दूसरे स्थान पर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल।

वाराणसी सीट पर जीत दर्ज करने के साथ ही  नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री भी बने। वाराणसी के साथ ही नरेंद्र मोदी को वडोदरा सीट पर भी जीत मिली लेकिन प्रतिनिधित्व के लिए उन्होंने  वाराणसी को ही चुना। 

पीएम मोदी ने दूसरी बार दर्ज की बड़ी जीत

फिर बारी आई 2019 के लोकसभा चुनाव की, जहां भाजपा ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा। इस बार उनके सामने कांग्रेस के अजय राय और समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव मुकाबले में थीं। इस सीट पर जनता ने पीएम मोदी को ही फिर से चुना और शालिनी यादव बड़े अंतर से चुनाव हार गईं। नरेंद्र मोदी को 2019 में  6,74,664 वोट,मिले, सपा की शालिनी यादल को 1,95,159 और कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय को 1,52,548 वोट मिले। 

 

वाराणसी से जीत दर्ज कर नरेंद्र मोदी एक बार फिर संसद पहुंचे और भाजपा ने आम चुनाव में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की केंद्र में सरकार बनाई। नरेंद्व मोदी ने दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली। अब इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर कैसा रहेगा चुनावी समीकरण और क्या भाजपा तीसरी बार नरेंद्र मोदी को यहीं से चुनाव मैदान में उतारेगी, ये देखनेवाली बात होगी। इस सीट पर इस बार भी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।

Latest India News

Source link

cgliveupdate
Author: cgliveupdate

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल