रिपोर्टर – आर्यन सोनकर
धमतरी- छत्तीसगढ प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव उदित साहू ने बताया कि कुछ लोग बजट-बजट चिल्ला रहे हैं। जबकि उनको खुद नहीं पता कि ये बजट उनके किसी काम का नहीं है। हमारे लिए इसमें कुछ है ही नहीं। इस बजट में न बेरोजगारों के लिए कुछ है, न देश का पेट भरने वाले किसानों के लिए। महिलाओं और युवाओं की चिंता तो छोड़ ही दीजिए। आज देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी,महंगाई,आर्थिक असमानता और ग़रीबी है। मगर इस बजट में इन समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ है ही नहीं। कुर्सी बचाने के लिए मोदी ने नीतीश के बिहार और नायडू के आंध्रप्रदेश को छोड़कर पूरे देश को ठेंगा दिखा दिया। अगर ये अन्य राज्यों के साथ अन्याय नहीं है तो फिर क्या है ? निर्मला जी ने कांग्रेस की ‘पहली नौकरी पक्की’ स्कीम को कॉपी करने का अधूरा प्रयास तो किया मगर स्कीम को ₹5000 प्रति महीना,500 टॉप कंपनियों और 1 करोड़ लोगों तक ही सीमित रखा। सवाल ये है कि 1 करोड़ लोग अगर 500 कंपनियों में इंटर्नशिप करेंगे तो क्या एक कंपनी 20,000 इंटर्न 5 साल में और सालाना 4,000 इंटर्न रख पायेंगी? इस स्कीम में इंटर्न बनने के लिए भी बड़ी शर्तें हैं- आपके घर का कोई भी व्यक्ति इनकम टैक्स ना देता हो, कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में ना हो, आप कोई फुल टाइम पढ़ाई ना करते हों – इत्यादि. कांग्रेस की स्कीम हर डिप्लोमा और डिग्री धारक के लिए थी और कंपनियों की कोई सीमा नहीं थी। ऐसे ही Angel Tax को ख़त्म करने वाली बात भी कांग्रेस के घोषणापत्र से चुराने का अधूरा प्रयास किया। लहसुन और प्याज न खाने वाली मंत्री ने महंगाई पर 10 शब्द बोले, पर भीषण महंगाई से राहत के बारे में एक भी बात नहीं की। मिडिल क्लास की कमरतोड़ने में वित्त मंत्री ने कोई कसर नहीं छोड़ा।
साहू आंकड़ों के माध्यम से बताया कि
शॉर्ट टर्म कैपिटल टैक्स 15% से बढ़ा कर 20% कर दिया है •लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है •डिवाइडेंड पर नया टैक्स लगेगा।इंडेक्शंस के फ़ायदे हट गये हैं। ऐसे समझिये की साल 2000 में आपने ₹10,00,000 में एक घर ख़रीदा,जिसको इस साल आपने ₹50,00,000 में बेच दिया, इंडेक्शन के बाद लागत ₹36,30,000 रुपये हुई, आपका कैपिटल गेन हुआ ₹13,70,000 इस पर आपको टैक्स देना पड़ता ₹2,74,000 का ,पर अब नये प्रावधान में आपको टैक्स देना पड़ेगा ₹5,00,000 का , साथ ही किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी तो नहीं दी गई, उल्टा कृषि का बजट ज़रूर घटा दिया गया। इस साल के बजट को टोटल बजट के अनुपात में और घटा कर 3.15% कर दिया गया है। सरकार नहीं चाहती कि कोई पढे-लिखे। इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के बजाय शिक्षा पर खर्च कम किया जा रहा है। पिछले साल शिक्षा के लिए 1,16,417 करोड़ आवंटित किया गया था और खर्च मात्र ₹1,08,878 करोड़ ही किया गया | मोदी ने कोरोना जैसी महामारी से भी कुछ नहीं सीखा। स्वास्थ्य का बजट लगातार घटाया जा रहा है। यही नहीं, पिछले साल ₹88,956 करोड़ स्वास्थ्य के लिए आवंटित किया गया था और खर्च मात्र ₹79,221 करोड़ ही किया गया | सीमा पर चीन लाल आंख दिखा रहा है, उसको जवाब देने की जगह मोदी ने रक्षा बजट में ही कटौती कर दिया। हैं। पिछली बार रक्षा बजट पूरे बजट का 9.6% था जो इस साल केवल 9.4% रह गया। देश में आए दिन रेल हादसे हो रहे हैं, मगर बजट में रेलवे की सुरक्षा और कवच का दूर-दूर तक कोई जिक्र नहीं। आपको शायद यक़ीन ना हो लेकिन सरकार ने इतनी जानें जाने के बावजूद पिछले साल मात्र 20 किलोमीटर पर कवच लगाया।