अगले कुछ ही हफ्तों में लोकसभा चुनावों का आगाज हो जाएगा। जनता अपने मत के जरिए संसद के लिए अपने नुमाइंदों का चुनाव करेगी। विभिन्न दलों ने अलग-अलग सीटों से अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। इनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां जोरदार मुकाबला देखने को मिल सकता है। ऐसी ही सीटों में शामिल है मुजफ्फरनगर की लोकसभा सीट। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान और समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट हरेंद्र सिंह मलिक के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
छात्र जीवन से ही सियासत में सक्रिय रहे हैं बालियान
बीजेपी उम्मीदवार संजीव बालियान की बात करें तो वह छात्र जीवन से ही सियासत में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कुछ समय तक असिस्टेंट प्रोफेसर और वेटेरिनरी सर्जन के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बीएसपी के उम्मीदवार कादिर राणा को बड़े अंतर से हराया था और 2014 में वह मोदी सरकार की पहली कैबिनेट में कृषि मंत्री भी बने थे। इसके अलावा उन्होंने कुछ और मंत्रालयों में बतौर राज्य मंत्री जिम्मेदारी संभाली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे और बेहद करीबी मुकाबले में तत्कालीन RLD सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह को मात दी। बीजेपी ने 2024 में भी मुजफ्फरनगर सीट पर पार्टी का परचम लहराने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है।
हरेंद्र सिंह मलिक ने जीते थे लगातार 4 चुनाव
पूर्व राज्यसभा सांसद एवं मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से मौजूदा सपा प्रत्याशी हरेंद्र सिंह मलिक ने अपने शुरुआती 4 विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। हालांकि इसके बाद किस्मत जैसे उनसे रूठ सी गई और बाद में लड़े एक विधानसभा चुनाव और 4 लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हरेंद्र की पहली चुनावी जीत खतौली विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हुई थी। बाद में 1998, 1999 में बीजेपी और 2009 में बीएसपी के टिकट पर मुजफ्फरनगर से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार नसीब हुई। बीजेपी ने 2019 में भी उन्हें कैराना से टिकट दिया था लेकिन उनकी किस्मत रूठी ही रही और उन्हें एक फिर पराजय का सामना करना पड़ा।
क्या कहता है मुजफ्फरनगर की सीट का इतिहास
पिछले तीन चुनावों की बात करें तो दो बार BJP उम्मीदवार और एक बार BSP उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। 2009 के लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के कादिर राणा ने राष्ट्रीय लोकदल की अनुराधा चौधरी को करीब 21 हजार मतों से मात दी थी। उन चुनावों में हरेंद्र सिंह मलिक ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और चौथे नंबर पर रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर पर सवार संजीव बालियान ने 4 लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से बसपा प्रत्याशी कादिर राणा को मात दी थी। 2019 में राष्ट्रीय लोकदल के तत्कालीन नेता चौधरी अजित सिंह मैदान में उतरे लेकिन उन्हें एक बार फिर बालियान के हाथों सिर्फ लगभग 7 हजार मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
2024 में क्यों हो सकता है कड़ा मुकाबला?
2024 का मुकाबला पिछले सभी मुकाबलों से अलग है। जहां पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और RLD के बीच गठबंधन था, वहीं इस बार RLD ने NDA का खेमा पकड़ लिया है और बीएसपी अकेले ही मैदान में है। माना जा रहा है कि बीजेपी प्रत्याशी संजीव बालियान को जहां RLD से गठबंधन की वजह से कुछ वोटों का फायदा होगा, वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हरेंद्र सिंह मलिक के साथ मुस्लिम वोट एकमुश्त जा सकता है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कादिर राणा सपा कैंडिडेट का नुकसान कर सकते हैं, लेकिन यह नुकसान कितना बड़ा होता है यह देखने वाली बात होगी। ऐसे में माना जा सकता है कि मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 2024 में एक दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल सकती है।